प्रतीक्षारत
रूकती हूँ एक क्षण के लिए
जीवन की अप्रत्याशित परिस्थितियों से निबटने ,
अपने अंदर और गहरे झाँकने के लिए
महसूस करने
कि वो शक्ति पर्याप्त नहीं थी
दुःख से उबरने के लिए
अपने ही अंतर के रिपुओं से लड़ने के लिए
स्वयं पर नियंत्रण के लिए
और स्वीकार करने के लिए
कि मैं एक मनुष्य हूँ।
तब तक प्रतीक्षारत रहूँगी
जब तक मैं फिर मैं न हो जाऊँ।
रूकती हूँ एक क्षण के लिए
जीवन की अप्रत्याशित परिस्थितियों से निबटने ,
अपने अंदर और गहरे झाँकने के लिए
महसूस करने
कि वो शक्ति पर्याप्त नहीं थी
दुःख से उबरने के लिए
अपने ही अंतर के रिपुओं से लड़ने के लिए
स्वयं पर नियंत्रण के लिए
और स्वीकार करने के लिए
कि मैं एक मनुष्य हूँ।
तब तक प्रतीक्षारत रहूँगी
जब तक मैं फिर मैं न हो जाऊँ।