Friday, June 26, 2020

pratiksharat

प्रतीक्षारत 

रूकती हूँ एक क्षण के लिए 

जीवन की अप्रत्याशित परिस्थितियों से निबटने ,

अपने अंदर और गहरे झाँकने के लिए 

महसूस करने

कि वो शक्ति पर्याप्त नहीं थी 

दुःख से उबरने के लिए 

अपने ही अंतर के रिपुओं से लड़ने के लिए 

स्वयं पर नियंत्रण के लिए 

और स्वीकार करने के लिए

कि  मैं एक मनुष्य हूँ। 

तब तक प्रतीक्षारत रहूँगी 

जब तक मैं फिर मैं न हो जाऊँ।

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