Thursday, June 25, 2020

Samay





समय 




पता नहीं समय गुज़रता है 

या कि हम गुज़रते हैं 

क्यों कि हम ही चले जाते हैं 

कभी अतीत की गलियों में 

पुराने समय से मिलने 

कभी भविष्य की खिड़कियों में झाँकने 

रुक कर जीते नहीं कभी वर्तमान को.

 और उस पर ये उलाहना 

कि हमें समय नहीं मिलता। 

समय तो वहीँ खड़ा हमारी बाट जोहता है 

कि कब हम इस आवाजाही से मुक्त हो उस से मिलें















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